नई दिल्ली (संवाददाता)- केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि एनएसएसओ को 10 वर्षों के बजाए 5 वर्षों में आकड़ें जारी करने चाहिए ताकि छोटे और मंझोले किसानों के लिए योजनाएं बनाने में सरकार को आसानी हो। कृषि मंत्री ने ये बात आज 10वें सांख्यिकी दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के विज्ञान भवन में कही।
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि आर्थिक एवं सामाजिक विकास हासिल करने के लिए क्षेत्रीय असमानता दूर करना जरूरी है और क्षेत्रीय असमानता की समस्या का समाधान तभी होगा जब इससे जुड़े आंकड़े मौजूद होंगे। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन और सभी क्षेत्रों के लिए कृषि से जुड़ी योजनाएं बनाने में आंकड़ों की भूमिका बहुत ज्यादा है। उदाहरण के लिए, फसल बीमा योजना क्रियान्वित करने के लिए, पंचायत एवं भविष्य में ग्रामीण स्तर पर भी पैदावार अनुमान अपेक्षित है।
श्री सिंह ने कहा कि नवीनतम उपलब्ध भू उपयोग सांख्यिकी 2012-13 के अनुसार 60 वर्षों के नियोजित विकास के बाद भी, देश में सकल फसलीकृत क्षेत्र का आधे से भी अधिक क्षेत्र असिंचित रहा है। विलंबित या कम वर्षा की स्थिति का सामना करने के लिए, उपयुक्त आपात योजनाओं की तैयारी एवं उसके क्रियान्वयन हेतु फसल घटक, सिंचाई की सुविधाएं, वर्षा की स्थिति, कृषि जलवायु परिस्थितियां आदि पर क्षेत्रीय स्तर के आंकड़ों की समयानुकूल उपलब्धता महत्वपूर्ण हैं। कृषि उत्पादों के साथ-साथ आदान उपयोग पर विश्वसनीय एवं भरोसेमंद आंकड़ों की उपलब्धता न केवल कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र के सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) के संकलन के लिए बल्कि किसानों की आय एवं व्यवसाय के रूप में कृषि की संभाव्यता के मूल्यांकन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
कृषि मंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार ने कृषि और किसानों के हित के लिए अनेक महत्वपूर्ण योजनाएं चलायी हैं। इन योजनाओं की पृष्ठभूमि में, देश में कृषि कल्याण में सुधार लाने तथा खाद्य सुरक्षा में वृद्धि करने में कृषि सांख्यिकीय पद्धति को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। उन्होंने कहा कि आंकड़ों के संकलन, प्रचार-प्रसार एवं प्रोसेसिंग में नवीनतम तकनीकी विकास के साथ, योजनाकर्ता एवं नीति निर्धारक स्तरों पर अत्यधिक समयबद्ध आंकड़ों की जरूरत है।
श्री सिंह ने कहा कि आंकड़ों के संकलन के लिए नई प्रौद्योगिकी की क्षमता का भरपूर उपयोग करना चाहिए और साथ ही न्यूनतम समय अंतराल के साथ कृषि क्षेत्र पर विश्वस्त सांख्यिकी के लिए लागत प्रभावी पद्धतियों की खोज करने की आवश्यकता है।
श्री सिंह ने जानकारी दी कि क्षेत्र एवं उत्पादन अनुमानों में नवीनतम उपलब्ध प्रोद्योगिकी का उपयोग करने के लिए कृषि मंत्रालय फसल नामक योजना क्रियान्वित कर रहा है। अंतरिक्ष विभाग, भारतीय मौसम विभाग एवं आर्थिक विकास संस्थान इस योजना के क्रियान्वयन में भागीदार है। विभाग में महालनोबिस राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र (एमएनसीएफसी) की स्थापना की गयी है जो चुनिंदा फसलों के रिमोट सेंसिंग प्रौद्योगिकी आधारित क्षेत्रफल एवं उत्पादन के पूर्वानुमान प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि फसलों पर राज्यों द्वारा प्रदत्त आंकड़ों की वैध्यता में एमएनसीएफसी द्वारा दिए गए पूर्वानुमान अत्यधिक उपयोगी है।
कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि मंत्रालय ने बागवानी फसलों के उत्पादन के मूल्यांकन के लिए रिमोट सेंसिंग प्रौद्योगिकी को अपनाने के संबंध में महत्वपूर्ण पहल की है। मंत्रालय ने चमन नामक एक पायलट परियोजना की शुरुआत की है। इस परियोजना में 11 मुख्य राज्यों को शामिल किया गया है ताकि बागवानी फसलों के क्षेत्र एवं उत्पादन के मूल्यांकन के लिए एक रिमोर्ट सेंसिग आधारित कार्यक्रम को विकसित किया जा सके।
उन्होंने जानकारी दी कि सरकार पशुधन गणना के माध्यम से विस्तृत वास्तविक आंकड़ों का सृजन करने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने की योजना बना रही है।
कृषि मंत्री ने कहा कि अब समय आ गया है कि सांख्यिकीय पद्धति को निम्नतर स्तर पर विश्वस्त आंकड़ों की बढ़ती हुई आवश्यकताओं की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार किया जाए। आंकड़ों के प्रेषण एवं संकलन में आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग द्वारा इस चुनौती का सामना किया जा सकता है। अंत में उन्होंने राज्य सरकारों से अनुरोध किया कि वे कृषि सांख्यिकी के लिए अपनी पद्धतियों को सुदृढ़ करने के संबंध में सक्रिय पहल करें।