हिन्दी कवि, पत्रकार, प्रखर वक्ता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 93 वर्ष की आयू में दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। उन्हें गुर्दे में संक्रमण, मूत्र नली में संक्रमण, पेशाब की मात्रा कम होने और सीने में जकड़न की शिकायत के बाद 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था। और बीते तीन दिनों से जीवन रक्षक प्रणाली पर चल रहे थे। बुधवार यानी 15 अगस्त की सुबह से ही उनकी तबीयत अचानक बिगड़ने लगी थी और आखिरकार 16 अगस्त को शाम करीब 5.05 मिनट पर जीवन से हार नहीं मानने वाले वाजपेयी ने अंतिम सांस ली।
वाजपेयी भारतीय जनसंघ की स्थापना में भी उनकी अहम भूमिका रही। वे वर्ष 1968 से 1973 तक जनसंघ के अध्यक्ष रहने के साथ ही आजीवन राजनीति में सक्रिय रहे। अटल बिहारी वजपेयी लंबे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन भी करते रहे। वाजपेयी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित प्रचारक रहे और इसी निष्ठा के कारण उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया था। वहीं सर्वोच्च पद पर पहुंचने तक उन्होंने अपने संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया।
ठन गई!
मौत से ठन गई!
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यूं लगा जिंदगी से बड़ी हो गई।
मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
जिंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं।
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,
लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?
तू दबे पांव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आजमा।
मौत से बेखबर, जिंदगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।
बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।
प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला।
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किए,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।
आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भंवरों की बांहों में मेहमान है।
पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ां का, तेवरी तन गई।
मौत से ठन गई।
-अटल बिहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म माता कृष्णा वाजपेयी की कोख से 25 दिसंबर 1924 को हुआ। उनके पिता का नाम पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी था, जो मध्य प्रदेश की ग्वालियर रियासत में अध्यापक थे और साथ ही वे हिन्दी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे। अटल जी की स्नातक (बीए) की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई। वे छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे। उन्होंने स्नातक करने के बाद कानपुर के डी०ए०वी० कालेज से राजनीति शास्त्र में एम०ए० की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। उसके बाद उन्होंने कानपुर में ही एल०एल०बी० की पढ़ाई प्रारम्भ की, लेकिन जल्द ही पढाई छोड़कर वे संघ के कार्य में जुट गये।
वर्ष 1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे वाजपेयी 1955 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन वह सफल नहीं हो सके। और उन्होंने वर्ष 1957 में उत्तर प्रदेश के गोण्डा जिला स्थित बलरामपुर संसदीय क्षेत्र से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुँचे। वर्ष 1957 से 1977 तक यानी जनता पार्टी की स्थापना तक वे लगातार करीब 20 सालों तक जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की सरकार में वाजपेयी वर्ष 1977 से 1979 तक विदेश मन्त्री रहे ।
अटल बिहारी वाजपेयी वर्ष 1980 में जनता पार्टी से नाराज होकर अलग हो गये और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में बढ चढ कर हिस्सा लिया। वहीं वाजपेयी की कर्मठता, विद्वता और दूरदर्शिता के कारण 6 अप्रैल 1980 में बनी भारतीय जनता पार्टी का उन्हें अध्यक्ष बनाया गया। वे दो बार राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए और 6 मई 1996 को वो पहली बार प्रधानमंत्री बने, लेकिन लोकसभा में बहुमत साबित न कर पाने की वजह से उन्हें 31 मई 1996 को त्यागपत्र देना पड़ा। इसके बाद वे 1998 तक लोकसभा में विपक्ष के नेता रहे। वहीं वर्ष 1998 में एक बार फिर प्रधानमंत्री बने, लेकिन एआईएडीएमके द्वारा गठबंधन से समर्थन वापस ले लेने के बाद उनकी सरकार एक बार फिर गिर गई और एक बार फिर आम चुनाव हुए। वहीं वर्ष 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में वे उन्हें पूर्ण बहुमत हासिल हुआ और एक बार फिर प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालते हुए उन्होंने पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। इसके बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया । और उनके अमूल्य योगदान और असाधारण कार्यों के लिए भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 2014 में भारत रत्न से सम्मानित किया।
अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया। इस कदम से उन्होंने भारत को निर्विवाद रूप से विश्व मानचित्र पर एक सुदृढ वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया। वहीं उनके कार्यकाल में पड़ोसी देश पाकिस्तान से संबंध सुधारने के लिए 19 फ़रवरी 1999 को सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू की गई। इस सेवा का उद्घाटन करते हुए प्रथम यात्री के रूप में वाजपेयी ने पाकिस्तान की यात्रा करके तत्कालीन पाक प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ से मुलाकात की ।
वाजपेयी सरकार के कुछ प्रमुख कार्य
-कावेरी जल विवाद ।
-सॉफ्टवेयर विकास के लिये सूचना एवं प्रौद्योगिकी कार्यदल, विद्युतीकरण में गति लाने के लिये केन्द्रीय विद्युत नियामक आयोग का गठन ।
-राष्ट्रीय राजमार्गों एवं हवाई अड्डों का विकास; नई टेलीकॉम नीति तथा कोंकण रेलवे की शुरुआत।
-राष्ट्रीय सुरक्षा समिति, आर्थिक सलाह समिति, व्यापार एवं उद्योग समिति का गठन।
-उड़ीसा के सर्वाधिक गरीब क्षेत्र के लिये सात सूत्रीय गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम शुरू ।
-आवास निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए अर्बन सीलिंग एक्ट खत्म।
-ग्रामीण रोजगार सृजन एवं विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों के लिये बीमा योजना ।
-सरकारी खर्चे पर रोजा इफ़्तार।
-विद्या नन्द मिश्रा